June 27 2015
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पेड़ की उस टहनी से,
बंधे ज़िन्दगी भर से,
हर मौसम सहते हुए,
इक पत्ते की कहानी सुनिए
हरा भरा था,
खुशियों का नगमा था,
आँखों को भाहता,
एक सुन्दर पत्ता था.
उस पेड़ से बंधा तोह था,
पर फिर भी सबको बचाता था,
बारिश की बूंदों से,
सूरज की किरणों से.
उन् तेज़ हवाओं में,
ज़िन्दगी के तुफानो में,
छोड़ा ना साथ उस तने का,
जिस से वह बंधा था.
और आज जब सूख गया वह,
तने से टूटने का है भय,
इंतज़ार में है उस झोंके के,
जो ले जाए इसे उड़ा के.
तोड़ इसे इस टहनी से,
दूर अपने ही घर से,
किसी के पैर तले रोंदने के लिए,
या किसी पंछी का घर बसाने क लिए.