Overblog
Edit post Follow this blog Administration + Create my blog
June 27 2015 6 27 /06 /June /2015 16:01

पेड़ की उस टहनी से,
बंधे ज़िन्दगी भर से,
हर मौसम सहते हुए,
इक पत्ते की कहानी
सुनिए

हरा भरा था,
खुशियों का नगमा था,
आँखों को भाहता,
एक सुन्दर पत्
ता था.

उस पेड़ से बंधा तोह था,
पर फिर भी सबको बचाता था,
बारिश की बूंदों से,
सूरज की किरण
ों से.

उन् तेज़ हवाओं में,
ज़िन्दगी के तुफानो में,
छोड़ा ना साथ उस तने का,
जिस से वह बं
धा था.

और आज जब सूख गया वह,
तने से टूटने का है भय,
इंतज़ार में है उस झोंके के,
जो ले जाए इसे उ
ड़ा के.

तोड़ इसे इस टहनी से,
दूर अपने ही घर से,
किसी के पैर तले रोंदने के लिए,
या किसी पंछी का घर बसाने
क लिए.

Share this post
Repost0

comments